महाराष्ट्र के बदलापुर में 2 बच्चियों का यौन शोषण: प्रदर्शनकारियों ने किया हंगामा, पुलिस ने की लाठीचार्ज
महाराष्ट्र के बदलापुर में 3 और 4 साल की केजी की दो बच्चियों के साथ स्कूल में यौन शोषण की घटना सामने आई है। इस घिनौनी घटना ने पूरे इलाके को झकझोर कर रख दिया। यह घटना तब प्रकाश में आई जब बच्चियों ने स्कूल जाने से इनकार किया और उनके माता-पिता ने उनसे पूछताछ की। जांच के बाद, यह खुलासा हुआ कि आदर्श स्कूल के 23 वर्षीय स्वीपर अक्षय शिंदे ने उनका यौन शोषण किया था। घटना 12 और 13 अगस्त की है, लेकिन पुलिस ने एफआईआर दर्ज करने में देरी की।
आक्रोशित भीड़ का हंगामा, पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प:
इस घटना के बाद आक्रोशित भीड़ ने बदलापुर में हंगामा किया। हजारों की संख्या में लोग लोकल ट्रेन के रेलवे ट्रैक पर उतर आए, जिससे लोकल ट्रेन सेवाएं बाधित हो गईं। प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़पें भी हुईं, जिसके चलते पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा। हालात बिगड़ने के बाद स्कूल में तोड़फोड़ और पथराव भी किया गया। पुलिस की कार्यवाही में देरी को लेकर लोगों में आक्रोश था।
सरकार की प्रतिक्रिया:
प्रदर्शनकारियों की नाराजगी को देखते हुए राज्य सरकार ने सख्त कदम उठाए हैं। पुलिस की लापरवाही पर कार्रवाई करते हुए, राज्य सरकार ने बदलापुर थाने की महिला पुलिस निरीक्षक समेत तीन पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया है, जो यौन शोषण का केस दर्ज करने में 12 घंटे की देरी के लिए जिम्मेदार थे।
घटना के बाद, महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने एसआईटी गठित करने का ऐलान किया और मामले की फास्ट ट्रैक कोर्ट में सुनवाई की बात कही। इसके अलावा, कैबिनेट मंत्री गिरीश महाजन ने प्रदर्शनकारियों से बातचीत के लिए बदलापुर स्टेशन का दौरा किया, लेकिन उन्हें वापस लौटना पड़ा।
आरोपी के खिलाफ कार्रवाई:
घटना के मुख्य आरोपी अक्षय शिंदे को पुलिस ने 21 अगस्त तक के लिए रिमांड पर लिया है। वहीं, स्कूल प्रबंधन ने घटना के बाद प्रिंसिपल, एक क्लास टीचर और एक महिला अटेंडेंट को सस्पेंड कर दिया है। इसके अलावा, बदले हुए हालात को देखते हुए बदलापुर में इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई थी। देर शाम 8 बजे से लोकल ट्रेनों की आवाजाही बहाल की गई।
पुलिस की लापरवाही: FIR दर्ज करने में हुई देरी, कई दिनों बाद दर्ज हुई रिपोर्ट
महाराष्ट्र के बदलापुर में 12 और 13 अगस्त को हुई यौन शोषण की घटना के बावजूद, पुलिस ने एफआईआर दर्ज करने में लापरवाही बरती। घटना के तुरंत बाद ही पुलिस को इसकी जानकारी दी गई थी, लेकिन वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक शुभदा शितोले ने इस गंभीर मामले में टालमटोल की। पॉक्सो (POCSO) कानून के तहत मामला होने के बावजूद, एफआईआर दर्ज करने में 12 घंटे की देरी हुई।
इस लापरवाही के कारण राज्य सरकार ने सख्त कदम उठाते हुए, संबंधित पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया। आखिरकार, घटना के कई दिन बाद, एफआईआर दर्ज की गई और आरोपी अक्षय शिंदे को रिमांड पर लिया गया। पुलिस की इस लापरवाही से स्थानीय लोगों में भारी आक्रोश फैल गया, जिससे प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़प भी हुई।
विपक्ष और अन्य प्रतिक्रियाएं:
इस मामले में सरकार ने प्रसिद्ध वकील उज्ज्वल निकम को विशेष सरकारी वकील नियुक्त किया है, जो पीड़ित बच्चियों की तरफ से केस लड़ेंगे।