*विश्वकर्मा जयंती 2024: 16 व 17 सितंबर को मनाई जाएगी विश्वकर्मा पूजा, जानिए शुभ मुहूर्त और महत्व**
हर साल भाद्रपद के अंतिम दिन विश्वकर्मा जयंती मनाई जाती है, जिसे कन्या संक्रांति या भाद्र संक्रांति भी कहा जाता है। 2024 में यह पर्व 16 व 17 सितंबर को मनाया जाएगा। पंचांग के अनुसार, इस दिन सूर्य देव कन्या राशि में प्रवेश करेंगे।
**विश्वकर्मा पूजा का शुभ मुहूर्त**
द्रिक पंचांग के अनुसार, इस वर्ष विश्वकर्मा पूजा का शुभ समय शाम 7:53 बजे से शुरू होगा। इस दिन विशेष रूप से शिल्पकार, कारीगर, मशीनरी, बढ़ई और औद्योगिक कार्यों में लगे लोग भगवान विश्वकर्मा की पूजा करते हैं। पूजा करने से व्यवसाय में सफलता और समृद्धि की मान्यता है।
**विश्वकर्मा भगवान का परिचय**
भगवान विश्वकर्मा को सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा जी का सातवां पुत्र माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान विश्वकर्मा सृजन के देवता हैं और उन्हें दुनिया का पहला शिल्पकार, वास्तुकार, और इंजीनियर माना जाता है। ऋग्वेद में उनका उल्लेख यांत्रिकी और वास्तुकला के ज्ञान के प्रतीक के रूप में किया गया है।
**भगवान विश्वकर्मा का वंश परिचय**
धर्मग्रंथों के अनुसार, ब्रह्माजी के पुत्र धर्म और धर्म के पुत्र वास्तुदेव थे, जिन्हें शिल्प शास्त्र का आदि पुरुष माना जाता है। वास्तुदेव की पत्नी अंगिरसी से भगवान विश्वकर्मा का जन्म हुआ। उनके पांच पुत्र – मनु, मय, त्वष्टा, शिल्पी, और दैवज्ञ थे। सभी शिल्पशास्त्र में दक्ष थे।
**विश्वकर्मा पूजा का महत्व**
हिंदू धर्म में विश्वकर्मा भगवान की पूजा का विशेष महत्व है। यह माना जाता है कि उनकी पूजा से कारोबार में तरक्की होती है और व्यापार में आने वाली कठिनाइयाँ दूर होती हैं। विश्वकर्मा जयंती पर विभिन्न औद्योगिक संस्थानों और कार्यशालाओं में मशीनों, औजारों और उपकरणों की विशेष पूजा की जाती है।
**भगवान विश्वकर्मा को चढ़ाए जाने वाले भोग**
भगवान विश्वकर्मा को प्रसन्न करने के लिए खास प्रकार के भोग लगाए जाते हैं। नारियल के लड्डू, मूंग दाल की खिचड़ी, दूध और चावल की खीर, बूंदी के लड्डू, पंचामृत और पीले फल भगवान को अर्पित किए जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि इससे सफलता की ओर कदम बढ़ते हैं।
**विश्वकर्मा पूजा 2024: विशेष तिथि और पर्व**
हालांकि कुछ लोग विश्वकर्मा जयंती को आश्विन कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि से जोड़ते हैं, लेकिन अधिकांश मान्यता भाद्रपद की अंतिम तिथि को मानती है। इस वर्ष यह पर्व 16 और 17 सितंबर को मनाया जाएगा, क्योंकि सूर्य देव 16 सितंबर को शाम 7:53 बजे कन्या राशि में प्रवेश करेंगे।
**सृजन और निर्माण के देवता**
भगवान विश्वकर्मा सृजन और निर्माण के देवता माना जाता है। उनका पूजन विशेष रूप से उन लोगों द्वारा किया जाता है जो शिल्प और यांत्रिकी के क्षेत्र में कार्यरत हैं। यह दिन विशेष रूप से उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण होता है जो औद्योगिक और निर्माण कार्यों से जुड़े हुए हैं।
**निष्कर्ष**
विश्वकर्मा जयंती 2024 में 16 व 17 सितंबर को मनाई जाएगी। इस दिन कारीगरों और शिल्पकारों द्वारा भगवान विश्वकर्मा की पूजा की जाएगी। तो देर किस बात की है, जाइए और इस विशेष दिन पर भगवान विश्वकर्मा का आशीर्वाद प्राप्त कीजिए।