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“हिंडनबर्ग रिपोर्ट से अडानी ग्रुप पर क्या असर पड़ा?”

हिंडनबर्ग की रिपोर्ट ने पिछले साल अदानी की सार्वजनिक रूप से सूचीबद्ध कंपनियों के को जन्म दिया।हालांकि, अभी भी ये शेयर हिंडनबर्ग रिपोर्ट से पहले के स्तर से लगभग $35 बिलियन नीचे हैं, लेकिन उन्होंने काफी हद तक सुधार किया है।

इसका एक कारण यह है कि पोर्ट्स-से-पावर तक फैले अदानी समूह ने अबू धाबी समूह इंटरनेशनल होल्डिंग और निवेश फर्म GQG जैसे निवेशकों का स्वागत किया, जिससे परिवार की कड़ी हिस्सेदारी को थोड़ा कमजोर कर विश्वास बहाल किया जा सके।

हिंडनबर्ग रिसर्च ने SEBI की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच पर अदानी ग्रुप की जांच में हितों के टकराव का आरोप लगाया है। हिंडनबर्ग का दावा है कि बुच और उनके पति ने अदानी से जुड़े ऑफशोर फंड्स में निवेश किया था। SEBI और बुच ने किसी भी तरह की गलत कामी से इनकार किया है और कहा है कि सभी आवश्यक खुलासे किए गए थे। इस जांच पर मिली-जुली प्रतिक्रियाएँ आई हैं।

राहुल गांधी ने कहा, “छोटे खुदरा निवेशकों की संपत्ति की सुरक्षा करने वाली सिक्योरिटीज रेगुलेटर SEBI की विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल उठे हैं, उसके चेयरपर्सन पर लगे आरोपों से इसकी साख को गहरी चोट पहुंची है।”

24 जनवरी 2023 को, हिंडनबर्ग रिसर्च ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की जिसमें अडानी ग्रुप पर वित्तीय गड़बड़ियों और शेयर बाजार में हेरफेर का आरोप लगाया गया। इस रिपोर्ट के बाद अडानी ग्रुप की कंपनियों के शेयरों में भारी गिरावट आई, कुछ शेयरों की कीमतें 83 प्रतिशत तक गिर गईं।

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