योगी सरकार पर कोर्ट की दोहरी मार: 68500 शिक्षक भर्ती में नए आदेश से बढ़ी चुनौतियां
उत्तर प्रदेश में योगी सरकार को एक और कानूनी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। 69,000 शिक्षकों की भर्ती का मामला अभी ठंडा भी नहीं हुआ था कि अब 68,500 शिक्षकों की भर्ती में नई वैकेंसी निकालने का आदेश आ गया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2020 की एक याचिका पर सुनवाई करते हुए आदेश दिया है कि 68,500 शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया में जो रिक्त पद रह गए थे, उन्हें 90 दिनों के भीतर भरा जाए।
यह आदेश राज्य सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती साबित हो सकता है, क्योंकि सरकार पहले से ही शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया में विभिन्न कानूनी उलझनों का सामना कर रही है। इस नए आदेश के बाद सरकार पर भर्ती प्रक्रिया को जल्द से जल्द पूरा करने का दबाव बढ़ गया है।
हालांकि, योगी सरकार की तरफ से इस आदेश पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा गया है कि वर्तमान में उनके पास शिक्षक और छात्र का अनुपात बराबर है। सरकार के अनुसार, राज्य के स्कूलों में जितने शिक्षक की जरूरत है, उतने पहले से ही नियुक्त हैं, और इसलिए उन्हें नई भर्ती की आवश्यकता नहीं है।
इस बयान के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि सरकार और न्यायपालिका के बीच इस मुद्दे पर टकराव की स्थिति बन सकती है। सरकार को अदालत के आदेश का पालन करना होगा, लेकिन इसके लिए उन्हें अपने मौजूदा ढांचे में बदलाव करना पड़ेगा।
यह मुद्दा सिर्फ भर्ती प्रक्रिया तक सीमित नहीं है, बल्कि यह राज्य के शिक्षा तंत्र की संपूर्ण स्थिति पर सवाल खड़ा करता है। एक ओर जहां सरकार का दावा है कि शिक्षक और छात्र का अनुपात संतुलित है, वहीं दूसरी ओर अदालत का आदेश यह दिखाता है कि भर्ती प्रक्रिया में कुछ खामियां हैं जिन्हें सुधारने की जरूरत है।
कुल मिलाकर, यह देखना दिलचस्प होगा कि योगी सरकार इस चुनौती का सामना कैसे करती है और क्या अदालत के आदेश का पालन करते हुए वह नई वैकेंसी जारी करती है या नहीं। इस बीच, शिक्षकों की भर्ती को लेकर राज्य में एक बार फिर से राजनीतिक और प्रशासनिक हलचल बढ़ने की संभावना है